तरंग (Wave) क्या है?
तरंग एक प्रकार का विक्षोभ (डिस्टरबेंस) है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। ये कण इसी प्रकार की गति अन्य कणों में उत्पन्न कर देते हैं। माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ता है बल्कि माध्यम के कणों के द्वारा केवल विक्षोभ आगे बढ़ जाता है।
तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है
(1) यांत्रिक तरंगें (Mechanical Wave in hindi)
(2) अयाँत्रिक तरंग (Non-mechanical Waves in hindi) या
विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electro magnatic waves in hindi)
1)याँत्रिक तरंगे (Mechanical Waves in hindi)-
ध्वनि तरंगों के रूप में होती है। यह दो प्रकार की हो सकती है ?
अनुदैघर्य तरंग (longitudinal wave)
– इसमें ध्वनि संचरण के माध्यम के कण समानान्तर इसकी गति की दिशा या विपरीत दिशा में जाते है तथा कम्पन से ध्वनि पैदा करते हैं। ऐसी ध्वनि तरंगों को अनुदैघर्य तरंगें कहते हैं। द्रव, गैस व प्लाज्मा आदि द्रव्यों में ध्वनि अनुदैघर्य तरंग के रूप में संचारित होती है।
अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave)
इसमें ध्वनि संचरण के माध्यम के कण इसकी गति की दिशा या विपरीत दिशा में न जाकर लम्बवत होकर कम्पन करके ध्वनि पैदा करते हैं। ऐसी ध्वनि तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगें कहते हैं। ठोस पदार्थ में ध्वनि अनुप्रस्थ तरंग के रूप में संचारित होती है।
वायु में उत्पन्न तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें ही होती हैं। द्रवों की सतह पर अनुप्रस्थ तरंगों का संचरण होते हुए भी उनके भीतर केवल अनुदैर्ध्य तरंग ही संचरित हो, सकती है। भूकम्प तरंगें, स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें आदि अनुदैर्ध्य तरंगें हैं। एक संपीडन से दूसरे संपीडन के बीच की दूरी अथवा एक विरलन से दूसरे विरलन के बीच की दूरी अनुदैर्ध्य तरंग की तरंग दैर्ध्य (wavelenth in hindi)कहलाती हैं।
आयाम (Amplitude in hindi)
जब किसी माध्यम में अनुदैर्ध्य या अनुप्रस्थ तरंगों का संचरण होता है तो माध्यम के सभी कण संचरण की दिशा मे कम्पन करने लगते हैं। माध्यम का कोई कण अपनी साम्यावस्था (equilibrum position) के दोनों ओर जितना अधिक विस्थापित होता है, उस दूरी को आयाम कहते हैं । आयाम को ‘a’ से प्रदर्शित करते हैं।
तरंग गति में कम्पन करते कद का किसी झण अपनी मूल अवास्थ से अघिकतम विस्थापन को अयं कहते है |
S.I मात्रक a है |
आवर्त काल (Time-period)
माध्यम का कम्पन करता हुआ कोई कण एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लेता है,उसे आवर्तकाल कहते हैं। इसे प्रायःT से प्रदर्शित करते हैं।
तरंग दैर्ध्य (Wave length)-
माध्यम के किसी कण के एक पूरा कम्पन किये जाने पर गाजतनी दूरी तय करती है उसे तरंग दैर्ध्य कहते हैं। इसे λ से प्रदर्शित करते हैं। अनुप्रस्थ तरंगों में दो पास-पास के श्रृंगों अथवा गों के बीच की दूरी तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्रमागत दो संपीडन या विरलन के बीच की दूरी तरंग दैर्ध्य(wave meaning in hindi) कहलाती है।
आवृत्ति (Frequency)-
माध्यम मे कम्पन करता हुआ कोई कण एक सेकेण्ड में जितने कम्पन करता है, उसे आवृत्ति कहते हैं। इसे n से प्रदर्शित करते हैं।
S.I मात्रक a/s (कम्पन/सेकंड) या Hertz
आवृत्ति (n) और आवर्तकाल (T) में संबंध
T=1/n या n=1/T
पथांतर
तरंग गति में मूल अवस्था में स्थित कण की मोल बिंदु से दुरी पथांतर कहलाती है इसको X से दर्शाते है
कलान्तर
तरंग गति में कंपन करने वाले किन्हीं कणों के मध्ये कला के अंतर को कलान्तर कहते है
कला
तरंग गली में कम्पन करते कण किसी झण अपनी मूल अवस्था से स्थित और दिशा को कला कहते है
तरंगों का अध्यारोपण:-
किसी माध्यम में गतिमान दो या दो से अधिक तरंगो किसी स्थान पर जब आपस में मिलती है तो ऊर्जा का पुनः वितरण होता है इसे तरंग का अध्यारोपण कहते है
व्यतिकरण के दो प्रकार होते है
- संतोषी व्यतिकरण
- विनाशी व्यतिकरण
संतोषी व्यतिकरण
जब किसी माध्यम में किसी बिंदु पर दो तरंगे इस प्रकार आद्यरूपीठ हो की दोनों तरंगे के विस्थापन एक ही दिशा में हो तो उनके द्वारा उत्पन्न परिणामी तरंगे का विस्थापन हमेशा जुड़ जाता है |
विनाशी व्यतिकरण
जब किसी माध्यम में किसी बिंदु पर दो तरंगे इस प्रकार अध्यारोपण हो की दोनों तरंगे के विस्थापन विपरीत दिशा में हो तरंग का विस्थापन हमेशा दोनों तरंगे के विस्थापन के अंतर के बराबर होता है
विस्पंद
ध्वनि की तीव्रता में एक चढ़ाव और एक उतार मिलकर एक विस्पंद बनाते है
तरंग चाल (Wave speed)
तरंग द्वारा दूरी तय करने की दर को तरंग चाल कहते हैं। इसे से प्रदर्शित करते हैं। सभी प्रकार की तरंगों में तरंग के वेग, तरंग दैर्ध्य व आवृत्ति के बीच निम्न सम्बन्ध होता है-
तरंग का वेग = आवृत्ति x तरंग दैर्ध्य
अयाँत्रिक तरंग (Non-mechanical Waves in hindi) या विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electro magnatic waves in hindi)
अयाँत्रिक तरंग (Non-mechanical Waves)-“वैसे तरंगे जिनके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है मतलब निर्वात में भी संचालित हो सकती हैं अयांत्रिक तरंग एवं विद्युत चुंबकीय तरंगे कहलाती है”
यांत्रिक तरंगों के संचरण के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, लेकिन यांत्रिक तरंगों के अतिरिक्त कुछ तरंगें ऐसी भी हैं, जिनके संचरण के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती तथा वे तरंगें निर्वात् (space) में भी संचरित हो सकती हैं। इन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंगें कहते हैं ।
ये तरंगें चुम्बकीय एवं विद्युत क्षेत्रों के दोलन से उत्पन्न होने वाली अनुप्रस्थ तरंगें हैं। समप्रकाश तरंगें, अमीय विकीरण, एक्स (x) किरणें, रेडियो तरंगें आदि विद्युत चुम्बकीय तरंगों (Electromagnetic wave in hindi) के उदाहरण हैं।
सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगें (wave meaning in hindi)एक ही चाल से चलती हैं तथा इनकी चाल प्रकाश की चाल के बराबर तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकेण्ड होती है। इन तरंगों का तरंग दैर्घ्य परिसर (Electromagnetic wave meaning in hindi ) बहुत विस्तृत होता है। इनका परिसर 10^-14 मीटर से लेकर 10^4 मीटर तक होता है।
कुछ प्रमुख विद्युत चुम्बकीय तरंगे निम्न हैं-( types of Electromagnetic waves in hindi)-
गामा किरणें (y-rays)
गामा किरणें की उत्पत्ति नाभिक से होती है। ये अत्यन्त लघु तरंग-दैर्ध्य परिसर की वैद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं। इनकी तरंग दैर्ध्य 10^-10 मीटर से लेकर 10^-14 मीटर के बीच होती है।
इन किरणों में ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा संचित रहती है, जिससे इनकी भेदन क्षमता अत्यधिक होती है। लोहे की मोटी चादरों को पार कर जाती है । गामा किरणों(gamma rays in hindi) के अवशोषण से कुछ नाभिकीय परिवर्तन भी किये जाते हैं।
एक्स किरणें (X-rays)
एक्स किरणों की खोज रान्जन नामक वैज्ञानिक ने की थी। इनकी तरंग दैर्ध्य 10^-10 मीटर से लेकर 10^-8 मीटर तक होती है। मानव के लिये x-किरणे अत्यधिक उपयोगी हैं। शल्य क्रिया, X-किरण चिकित्सा, व्यवसाय, जासूसी, इन्जीनियरिंग आदि में इनका उपयोग किया जाता है।
पराबैंगनी तरंगें (Ultra-violet waves in hindi)
पराबैंगनी विकरण की खोज रिटर (Ritter) ने की थी। इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य 10^-8 मीटर से 10^-7 मीटर तक होती है। ये तरंग सूर्य के प्रकाश, वैद्युत विसर्जन (electric discharge), निर्वात स्पार्क आदि से उत्पन्न होती है।
दृश्य विकिरण (Visible radiation)
दृश्य विकिरण को हम अपनी आँखों से देख सकते हैं। इसकी खोज न्यूटन ने की थी। दृश्य विकिरण का तरंग दैर्ध्य परिसर 4 x 10^-7 मीटर से लेकर 7.8 x 10^-7 मीटर तक होता है। दृश्य विकिरण में परावर्तन, अपवर्तन व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण, दृष्टि संवेदन (sense of sight) आदि गुण पाये जाते हैं।
ये विकिरण ताप दीप्ति (incandescent) वस्तुओं से उत्पन्न होते हैं। विकिरण के स्रोत सूर्य, तारे, ज्वाला, विद्युत बल्ब, आर्क-लैम्प आदि हैं।
अवरक्त किरणें (Infra-red rays)
इन किरणों की खोज विलियम हरशैल ने 1940 में की थी। इनके तरंग दैर्ध्य का परिसर 7.8 x 10^-7 मीटर से लेकर 10^-3 मीटर तक होता है।
ये तरंगें(wave in hindi) पदार्थों को उच्च ताप पर गर्म करने पर निकलती हैं। इन किरणों की वेधन शक्ति अधिक होने के कारण ये घने कोहरे व धुश से पार निकल जाती हैं । युद्धकाल में इन किरणों का उपयोग दूर-दूर तक सिग्नल भेजने में किया जाता है।
इनका उपयोग- अस्पतालों में रोगियों की सिकाई करने व कुहरे में फोटोग्राफी करने में भी होता है।
हर्ज या लघु रेडियो तरंगे (lertain or short radio waves in hindi)
इन तरंगों की खोज विलियम हर्ज ने 1888 में की थी। इन तरंगों का तरंग दैर्ध्य परिसर 10-3 से 1 मीटर तक होता है। इस परिसर में 10-3 मीटर से 10-2 मीटर तरंग दैर्ध्य की तरंगें सूक्ष्म तरंगें (micro waves) कहलाती हैं। इनका उपयोग टेलीविजन, टेलीफोन आदि के प्रसारण में किया जाता है।
वायरलैस या दीर्घ रेडियो तरंगें (Wireless or लॉन्ग radio waves in hindi)
इन तरंगों की खोज मर्कोनी ने 1896 में की थी। इनकी तरंगदैर्ध्य परिसर 1 मीटर से लेकर 10 मीटर तक होता है। ध्वनि तरंगें (Sound waves)–ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें होती है। यांत्रिक तरंगें विभिन्न आवृत्तियों की हो सकती हैं।
जिन तरंगों की आवृत्ति 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ट्ज के बीच होती है, उनकी अनुभूति हमें अपने कानों द्वारा होती है और उन्हें हम ध्वनि के नाम से पुकारते हैं। जिन यांत्रिक तरंगों की आवृत्ति इस सीमा से कम या अधिक होती है, उनको अनुभूति हम अपने कानों से नहीं कर सकते हैं।
जब कोई ध्वनि स्रोत दोलन करता है, तो उसके सम्पर्क में वायु कण अपनी साम्य स्थित के दोनों ओर दोलन करने लगते हैं। इससे वायु में संपीडन तथा विरलन की अवस्थायें उत्पन्न होकर वायु में तरंगें (wave meaning in hindi)संचरित होने लगती हैं।
जब ये तरंगें वायु में चलकर कान के पर्दे पर पहुँचती हैं, तो कान का पर्दा दोलन करने लगता है तथा ध्वनि सुनाई देने लगती है। इस प्रकार ध्वनि तरंगें(wave in hindi) दोलन कर रहे किसी स्रोत से उत्पन्न होती हैं।
ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परिसर (Frequency range of sound) यांत्रिक तरंगों को उनके आवृत्ति परिसर के आधार पर मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है
(1) श्रव्य तरंगें (Audible Wave in hindi)
श्रव्य तरंगें वे याँत्रिक तरंगें हैं, जिनकी आवृत्ति का परिसर 20hertz से लेकर 20,000 हर्ट्ज तक होता है। इन तरंगों को हमारा कान सुन सकता है। 20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति की तरंगे कान के पर्दे को संवेदित नहीं कर पाती, जिससे वे सुनाई नहीं देती तथा 20,000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति की तरंगों की आवृत्ति इतनी अधिक होती है कि कान के पर्दे का दोलन इतना अधिक नहीं हो पाता कि वह इन तरंगों को ग्रहण कर सके। फलतः ये तरंगें(wave in hindi) भी हमें सुनाई नहीं देती।
अतः श्रव्य तरंगें वे तरंगें(wave meaning in hindi)है, जिनकी न्यूनतम आवृत्ति 20 हर्ज व अधिकतम आवृत्ति 20,000 हर्ट्ज है व जिनको हम सुन सकते हैं।
(2) अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic wave in hindi)
अवश्रव्य तरंगें दे यांत्रिक तरंगे है, जिनको आवृत्ति 20 हजं से कम होती । है। ये तरंगें(wave in hindi) हमें सुनाई नहीं देती हैं। ये तरंगे के समय पृथ्वी के अंदर उत्पन्न होती है हमारे दिल की धड़कन की आवृत्ति अवश्रव्य तरंगें जैसी ही होती है।
(3)पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic wave meaning in hindi)
जिन तरंगों की आवृत्ति 20000 हटा से ऊपर होती है उसे पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic wave) कहते है। पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic wave) को चमगादर और कुत्ते सुन सकते हैं