गुरुत्वाकर्षण क्या हैगुरुत्वाकर्षण क्या है

गुरुत्वाकर्षण क्या है | What is Gravity in Hindi

 

गुरुत्वाकर्षण क्या है?| What is Gravity in Hindi

“विश्व का प्रत्येक पिंड प्रत्येक अन्य पिंड को एक बल से आकर्षित करता है”

ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुएं एक दुसरे को एक विशेष बल के साथ अपनी तरफ खींचती है, प्रकृति की इस प्रक्रिया को ही गुरुत्वाकर्षण कहा गया है. अतः यह कहा जा सकता है कि गुरुत्वाकर्षण वह प्राकृतिक घटना है, जिसकी सहायता से एक मास किसी दुसरे मास को अपनी तरफ खींचने का प्रयत्न करता है. इस मास के अंतर्गत सारे भौतिक वस्तु, ग्रह- उपग्रह, आकाश गंगा आदि सभी आते हैं. चूँकि ऊर्जा और मात्रा (मास एंड एनर्जी) का सीधा सम्बन्ध रहा है, अतः सभी तरह की ऊर्जायें भी इस प्राकृतिक घटना के अंतर्गत आते हैं और गुरुत्वाकर्षण सभी पर लागू होता है.

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यह ज्ञात हो कि गुरुत्वाकर्षण बल ही ब्रम्हांड के कई गैसों को एक स्थान पर लाता हैं जिसकी सहायता से तारों का निर्माण होता है. यह तारे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही एक दुसरे की तरफ आकर्षित रहते हैं और आकाश गंगा का निर्माण होता है.

पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण (Earth Gravity)

पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की वस्तुओं को भार प्रदान करता है. दो अलग अलग ग्रहों उपग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण का मान अलग अलग होता है, अतः जानने वाली बात है कि जिस वस्तु का भार पृथ्वी पर 50 किलोग्राम होगा, उसका मान चाँद पर पूरी तरह से बदल जाएगा. पृथ्वी के सागरों में होने वाले ज्वार- भाटा में भी गुरुत्वाकर्षण की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है.

 

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक =6.67 X 10^-11 Nm^2 / kg^2

पृथ्वी का द्रव्यमान =5.98×1027 किलो

पृथ्वी का त्रिज्या =6.37×106m,M

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त (Newton’s Theory of Gravity Equation in hindi)

सर आइजक न्यूटन विश्व भर में अपने गुरुत्वाकर्षण थ्योरी के लिए मशहूर हुए हैं, क्योंकि सर्वप्रथम प्रकृति के इस घटना को इन्होने ही समझा था. इसके उपरान्त एक लम्बे समय तक इनकी दी हुई गुरुत्वाकर्षण बल की परिभाषा के आधार पर ही भौतिकी चली और आज भी इसे पढ़ना अनिवार्य है. इसकी वजह ये थी कि इसके बाद विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया था. न्यूटन सर आईजक न्यूटन के अनुसार दो भौतिक वस्तुयें या ब्रम्हांड की सभी वस्तुएं एक दुसरे को जिस बल से आकर्षित करती है, यह बल गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से तैयार होता है. यह बल दो वस्तुओं के मात्रा के समानुपाती और दोनों के बीच की दूरे के वर्ग के विलोमानुपाती होता है. इसे ही गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है. विज्ञान के चमत्कार यहाँ पढ़ें.

न्यूटन द्वारा दिये गये इस परिभाषा के अंतर्गत गुरुत्व बल का समीकरण यह बनता हैं : –

      F = GMm / R^2  

 

जहाँ पर M पहले वस्तु और m दुसरे वस्तु की मात्रा है.  

इससे सम्बंधित विशेष तथ्यों का वर्णन नीचे किया जा रहा है,

  • न्यूटन की इस परिभाषा से हमें यूनिवर्सल ग्रेविटेशनल कांस्टेंट G का मान प्राप्त होता है. इसका मान 67 x 10^-11 न्यूटन वर्ग मीटर / वर्ग किलोग्राम है.
  • न्यूटन की परिभाषा से प्राप्त G का मान बहुत ही छोटा होता है. किसी प्रयोगशाला में रखे हुए दो एक एक किलोग्राम की वस्तुओं के बीच महज 6.67 x 10^-11 न्यूटन का बल तैयार हो पाता है.
  • यहाँ से हमें किसी भी वस्तु के अन्तर्निहित मात्रा के विषय में पता चलता है, कि हमें किसी वस्तु को उसके स्थान से विस्थापित करने के लिए कितने बल की आवश्यकता पड़ेगी.
  • किसी वस्तु का ग्रेविटेशनल मॉस हमें यह बताता है कि कोई एक वस्तु किसी दुसरे वस्तु को अपनी तरफ़ कितने बल से खींच सकती है.
  • दो से अधिक वस्तु के होने पर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अधीन तैयार होने वाले बल का मान ‘सुपरपोजीशन के
    • नियम’ की सहायता से निकाला जाता है.
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    गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy)

    दो वस्तुओं के बीच में तैयार गुरुत्व बल किसी कार्य को करने में सक्षम होता है, इस वजह से दोनों के लिए एक ऊर्जा तैयार होती है. इस ऊर्जा को ही ग्रेविटेशनल पोटेंशियल एनर्जी यानि गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है.

    न्यूटन का थॉट एक्सपेरिमेंट (Newton’s Thought Experiment)

    न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण का आईडिया उस समय सबसे पहली बार आया जब वे एक सेव के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे और उनके सामने पेड़ से टूट कर सेव सामने आकर गिरा था. उनके मन में यह प्रश्न आया था कि यह सेव नीचे ही क्यों गिरा..? यही प्रश्न न्यूटन को सीधे गुरुत्वाकर्षण के रास्ते पर ले गगा. सर आइजक न्यूटन ने एक थॉट एक्सपेरिमेंट किया और उन्होंने सोचा कि क्या हो यदि पृथ्वी पर एक बड़े ऊँचे स्थान से केनन बॉल फायर की जाए.

    न्यूटन ने गति विषयक अपने पहले सिद्धांत से यह समझा कि फायर किया गया. केनन बॉल तब तक एक सरल रेखा में आगे बढ़ता रहेगा, जब तक कि उसपर किसी बाहरी बल का कोई प्रभाव न आये. ध्यान दें कि ऐसा नहीं हुआ. दागा गया केनन बॉल झट से नीचे गिर गया. इसके बाद उन्होंने सोचा कि यदि इस केनन बॉल को अपेक्षाकृत अधिक गति से दागा जाए तब क्या होगा, अपेक्षाकृत अधिक गति से केनन बॉल दागने पर बॉल पिछली बार से थोड़ी अधिक दूरी पर जा कर गिरी. इसी तरह से उन्होंने सोचा कि यदि इसी तरह से गति बढाई जाती रही तो एक समय ऐसा आएगा कि वह गेंद एक ऑर्बिट पकड़ लेगा और निरंतर पृथ्वी का चक्कर काटने लगेगा, जैसा कि आमतौर पर सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं और चन्द्रमा पृथ्वी का. अतः सर आइजक न्यूटन इस बात से इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ब्रम्हांड के जितने भी ग्रह अथवा उपग्रह किसी अन्य ग्रह का चक्कर काट रहे हैं, तो इसके पीछे का कारण गुरुत्वाकर्षण बल है.

    गुरुत्वाकर्षण त्वरण (g) (Gravity Acceleration)

    कोई भी वस्तु किसी ऊचाई से पृथ्वी की तल की तरफ़ जिस गुरुत्वाकर्षण बल के साथ आती है, उसे गुरुत्वाकर्षण त्वरण g कहा जाता है. इसका मान पृथ्वी के लिए 981 सेमी प्रति वर्ग सेकंड हैं. ध्यान दें कि विभिन्न ग्रहों के लिए इसका मान विभिन्न होता है. इसका समीकरण है,

g= GM / R^2

विभिन्न ग्रहों का विभिन्न गुरुत्वाकर्षण मान क्यों (Why The Value of g is Different at Different Planets)

गुरुत्वकर्षण की परिभाषा देते हुए यह बताया गया कि यह किसी भी वस्तु की मात्रा पर निर्भर करता है. ध्यान देने वाली बात है कि सूर्य के चारों तरफ चक्कर काटने वाले ग्रहों का आकार अलग अलग है और उनकी मात्राएँ भी अलग अलग है, जिस वजह से सभी ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण त्वरण का मान अलग अलग होता है.

किसी अन्य ग्रह का गुरुत्वाकर्षण त्वरण कैसे पता करें (How to Calculate Gravity on Other Planets)

किसी अन्य ग्रहों के लिए भी ग्रुत्वकर्षण त्वरण का मान आसानी से निकाला जा सकता है. इसके लिए हम जिस ग्रह का गुरुत्वाकर्षण त्वरण निकाल रहे हैं, उस ग्रह का मॉस, उस ग्रह का रेडियस, यूनिवर्सल ग्रेविटेशनल कांस्टेंट आदि की आवश्यकता पड़ती है, जिसे g= GM/R^2 पर बैठाकर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. कल्पना कीजिये आप मंगल ग्रह का गुरुत्वाकर्षण त्वरण निकालना चाहते हैं, तो आपके पास इसका मॉस M= 6.42 *10^23 किलोग्राम R= 3.390*10^6 मीटर और G मान 6.67* 10^-11 है. इन मानों को दिए गये समीकरण में बैठाने पर हमें मंगल पर गुरुत्वाकर्षण त्वरण का मान 3.72 मीटर प्रति वर्ग सेमी प्राप्त होगा.

गुरुत्वाकर्षण पर अन्य वैज्ञानिकों के सिद्धांत (Gravitational Theory by Other Scientists)

  • गैलिलियो का सिद्धांत : गैलिलिओ एक महान वैज्ञानिक हुए जिन्होंने कई तरह के आविष्कार किये और दूरबीन के आविष्कार के लिए इन्हें आज भी जाना जाता है. हालाँकि गैलिलियो ने गुरुत्वाकर्षण सम्बंधित ख़ास जानकारियाँ नहीं दी किन्तु एक बात कि पुष्टि की कि सौरमंडल के सभी उपग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, यह परिक्रमा एक निश्चित ऑर्बिट में की जाती है. यह जानकारी सर न्यूटन के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ और इस सिद्धांत का प्रयोग उन्होंने अपने केनन बॉल वाले एक्सपेरिमेंट में किया.
  • अल्बर्ट आइन्स्टाइन : इसके उपरान्त सर अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने भी अपने ‘जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी’ में गुरुत्वाकर्षण बल का वर्णन किया है. सर अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार गुरुत्वाकर्षण किसी तरह का बल नहीं है बल्कि यह ‘कर्वेचर ऑफ़ स्पेसटाइम’ का परिणाम है, जो कि मास के ‘असमान वितरण’ (uneven distribution) के फलस्वरूप जन्म लेता है.

इस तरह से गुरुत्वाकर्षण की उपरोक्त प्रमुख व्याख्याएं हैं, जो कि आज के समय किसी आम आदमी के लिए जानना भी अनिवार्य है. गुरुत्वाकर्षण का यह आधारभूत ज्ञान पाठक को आगे इसके विभिन्न पहलुओं को समझने में काफ़ी मदद करेगा. 

 

मुक्त पतन

जब वस्तुएँ पृथ्वी कि और केवल गरुणतत्व्य बल के कारण गिरती है बल वस्तुएँ हम कहते है की वस्तएँ मुक्त पतन मै है
वेग मै कोई परिवर्तन नहीं होता लेकिन पृथ्वी के आकर्सन बल के कारण वेग परिमाण में परिवर्तन में होता है वेग में कोई भी परिवर्तन त्वरण (Acceleration) को उत्पन करता है
*जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की और गिरती है त्वरण (Acceleration) कार्य करता है

दर्व्यमान

दर्व्यमान किसी ववस्तु का दर्व्यमानउतना ही रहता है चाहे वस्तु पृथ्वी पर हो चन्द्रमा पर हो या फिर बाहर अंतरिक्ष में हो या एक स्थान से दूसरे स्थान में नहीं बदलता।

भार

भार वस्तु का भार एक बल है जिससे ये पृथ्वी की और आकर्षित होता है भार अलग अलग जगह पर अलग value हो सकता है भार का s.t मात्र जो बल का है
वही भार का है न्यूटन

पृथ्वी का द्रव्यमान (KG)5.972 × 10^24 kg

पृथ्वी त्रिज्या लगभग 6,371 किलोमीटर (3,959 मील) है।

 चंद्रमा 7.35 x 10 19 टन के द्रव्यमान (पदार्थ की मात्रा) है

 चंद्रमा माध्य त्रिज्या: 1,737.10 किमी (0.273 
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प्रणोद कहते हैं

किसी वस्तु पर लगने वाले बल को प्रणोद कहते हैं

दाब का S.I मात्रक न्यूटन मीटर स्क्वायर या पास्कल पिए

तरलो में दाब 

द्रव या गैस  द्रव्य गैस जिस किसी बर्तन या किसी वस्तु में रखा जाता है तो यह उसके आधार तथा दीवार पर दाव लगाते हैं यह गांव सभी जगह एक समान होता है कर लो मैं भी भार होता है

उत्प्लावन बल

जब हम किसी वस्तु को पानी में डूब आते हैं तो पानी की तरफ से एक बार लगता है जो वस्तु को ऊपर की ओर भेजता है उत्पल बल को कहते हैं यह घनत्व पर निर्भर है वस्तु तृतीया डूबती क्यों है किसी वस्तु का बल पानी द्वारा लगाए गए उत्पल बल से अधिक है तो

द्रव का वह गुण जिसके कारण वह वस्तुओं पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, उसे उत्क्षेप या उत्प्लावक बल कहते हैं. यह बल वस्तुओं द्वारा हटाए गए द्रव के गुरुत्व-केंद्र पर कार्य करता है, जिसे उत्प्लावक केंद्र (center of buoyancy) कहते हैं. इसका अध्ययन सर्वप्रथम आर्कमिडीज ने किया था

आर्कमिडीज का सिद्धांत:

जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है, तो उसके भार में कमी का आभार होता है. भार में यह आभासी कमी वस्त द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होती है 

द्रव के गुरुत्व-केंद्र को उत्प्लावन-केंद्र कहते हैं 

By Ajay Singh

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