ध्वनि क्या है? | What Is Sound In Hindi
ध्वनि उर्जा का एक रूप है अर्थात ध्वनि एक प्रकार की उर्जा है। ध्वनि हमारे कानों में एक प्रकार की संवेदना उत्पन्न करती है, जिससे हम ध्वनि को सुन पाते हैं।
ध्वनि का उत्पादन
जब किसी कम्पन युक्त वस्तु में कम्पन पैदा होता है, तो उससे निकलने वाली तरंगें पहले हवा में विद्यमान कणों को आगे धकेलती हैं, जिससे हवा दाब बढ़ता है, यह क्रिया संपीड़न कहलाती है। संपीड़न के बाद वह हवा के कणों को पुनः कम हवा दाब वाले क्षेत्र में विपरीत दिशा में पीछे की ओर धकेलती है, यह क्रिया विरलन कहलाती है। अतः संपीड़न व विरलन से ध्वनि तरंगों का निर्माण व संचरण होता है। इससे ध्वनि उत्पन्न होती है तथा संचारित होती हुई कानों को सुनाई देती है।
मनुष्य एक सीमित आवृति की ध्वनि को ही सुनने की क्षमता रखता है। यह आवृति है- 20 हर्ट्ज़ से 20 किलोहर्ट्ज़। मनुष्य के अतिरिक्त कई अन्य जीव इससे काफी अधिक आवृति वाली ध्वनि को सुनने की भी क्षमता रखते हैं। अत्यधिक तेज आवाज ध्वनि मनुष्य एवं जानवर दोनों के कानो के लिए हानिकारक साबित हो सकती है|
- संपीड़न एक उच्च दाब का क्षेत्र है|
- विरलन निम्न दाब का विरलन निम्न दाब का छेत्र है
- निवर्ता में ध्वनि का संचालन नहीं हो सकता
- किसी माध्यम में कंदो का अधिक घनत्व अधिक दाब को और कम घनत्व कम दाब को दर्शात है
- ध्वनि तरंगे अनुद्धैर्य तरंगे होती है
- आवृत तथा आवृत्ति के बीच संबंध 1/T
उर्जा संरक्षण नियम के अनुसार उर्जा को न ही बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल उर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है।
श्रोत से सुनने वाले के कानों तक ध्वनि के पहुँचने (संचरण) के चरण
(a) जब एक वस्तु कंपायमान होती है, तो यह माध्यम के अपने चारों चरफ के कणों को कंपित कर देती है।
(b) सबसे पहले ध्वनि उत्पन्न करने वाले कंपायमान वस्तु के ठीक पास के संपर्क में आने वाले कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं।
चित्र : ध्वनि का संचरण6
(c) माध्यम के ये कण अपने ठीक पास वाले कणों पर बल लगाते हैं।
(d) इस बल के कारण पास वाले कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं।
(e) पास वाले कणों को विस्थापित करने के बाद पहले वाले कण अपनी पूर्वावस्था में चले आते हैं।
(f) यह प्रक्रिया तबतक लगातार चलती है जबतक आवाज के तरंग उत्पन्न होने वाले स्थान से सुनने वाले के कानों तक नहीं पहुँच जाते हैं।
(g) ध्वनि के श्रोत से होने वाला डिस्टरबेंस (विक्षोभ) माध्यम के कणों के द्वारा आगे बढ़ता है।
(h) अत: माध्यम के कण ध्वनि श्रोत से आगे की ओर नहीं बढ़ते हैं, बल्कि ध्वनि माध्यम में होने वाले विक्षोभ के द्वारा आगे बढ़ता है।
आवृति के अनुसार ध्वनि भिन्न-भिन्न रूपों में हो सकती है, जो निम्नलिखित है
ध्वनि तीव्रता-ध्वनि तीव्रता किसी एकांक छेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली दुगनी ऊर्जा की तीव्रता कहते है
प्रवलता ध्वनि- प्रवलता ध्वनि के कानो की संवेदनशीलता की माप है
श्रव्य (Audible)– 20 हर्ट्ज़ से 20 किलोहर्ट्ज़ आवृति वाली ध्वनि श्रव्य होती है, जिसे मनुष्य द्वारा सुना जा सकता है।
अतिध्वनिक (Supersonic)– 1 गीगाहर्ट्ज़ से अधिक आवृति वाली ध्वनि तरंगें अतिध्वनिक कहलाती है। यह आंशिक रूप से पैदा होती है।
ध्वनि बूम :- जब ध्वनि उत्पादक स्रोत ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करती है तो ये वायु में प्रघाति तरंगे उत्पन्न करते है इस प्रघाति तरंगे में बहुत अधिक ऊर्जा होती है इस प्रकार की प्रघाति तरंगे से संबंद वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बूम कहते है
ध्वनि का परावर्तन:-किसी ठोस या द्रव से टकराकर ध्वनि उसी प्रकार वापिस लोटती है |
प्रकाश की भांति ध्वनि भी किसी ठोस या द्रव की सतह से प्रवर्तित होती है
प्रतिध्वनि:-प्रतिध्वनि- जब कोई ध्वनि तरंग आगे संचारित होती हुई आगे किसी द्रव्य से टकराकर पुनः मूल स्त्रोत के पास लौट आती है, तो इसे प्रतिध्वनि कहा जाता है।
- आप कही चिल्लाए या ताली बजाये तो आपको कुछ समय बाद वही ध्वनि फिर से सुनाई देती है इसको प्रतिध्वनि कहते है |
- ध्वनि के परावर्तन के कारण हमें एक से अधिक प्रतिध्वनियाँ भी सुनाई दे सकती है
अनुरणन:-
किसी बड़े हॉल से उत्पन्न होने वाली ध्वनि दीवारे से बार बार परावर्तन के कारन काफी समय तक बानी रहती है जब तक की यह इतनी कम न हो जय की सुनाई न पड़े यह बार बार परावर्तन जिसके कारन ध्वनि निर्बध होता है अनुरणन कहलाता है
मानव में ध्वनि की श्रव्यता की औसत परास 20Hz से 20KHz तक है
- श्रव्यता के परास से कम आवर्तिया की ध्वनि को अपश्रव्य(Audio)कहते है अपश्रव्य(Audio)– 20 हर्ट्ज़ से निम्न आवृति की ध्वनि अपश्रव्य की श्रेणी में आती है। इसे मनुष्य के कान नही सुन सकते न ही इसे सुनने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।
- श्रव्यता के परास से अधिक आवर्तिया की ध्वनि को पराध्वनि (Parasitic)कहते है | पराश्रव्य (Parasitic)– 20 किलोहर्ट्ज़ से अधिक आवृति वाली ध्वनि अत्यधिक उच्च तरंगों से युक्त होती है तथा यह भी मनुष्य द्वारा नही सुनी जा सकती। पराध्वनि चिकित्सा तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनेक उपयोग है
पराध्वनि के अनुप्रयोग
- पराध्वनि उन भागो को साफ करना में उपयोग की जाती है जहां पहुंचना कठिन होता है
- पराध्वनि का उपयोग धातु के प्लाको में दरारे का पता लगाने के लिए किया जाता है
सुनार (Sonar):- सुनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करना ताथा जल के निचे छिपी चट्टानें। , घटिया ,पनडुब्बी ,का पता लगाने के लिए किया जाता है
2d=V*T
ध्वनि तरंगें का अवशोषण (Absorption Of Sound Waves)
ध्वनि तरंगें का अवशोषण जब ध्वनि तरंग किसी सतह पर आपतित होती है तो ध्वनि तरंगे की ऊर्जा का कुछ भाग और माध्यम में ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाता है इसे अवशोशण कहते है जब ध्वनि तरंगे किसी पदार्थ की सतह पर टकराती है तो उसकी कुछ ऊर्जा पदार्थ के परमाणओ द्वारा heat energy के रूप में अवसोसित Absorbed हो जाती है
इसी कारण ध्वनि तरंगे के आयाम और तीव्रता में कमी हो जाती है
ध्वनि से सम्बन्धित अन्य कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नलिखित हैं
- तरंगदैघर्य (wavelength)– एक ही क्रम में आने वाले दो संपीड़नो या दो विरलनो के मध्य पाई जाने वाली दूरी को तरंगदैघर्य कहते हैं।
- आवृति (frequency)– किसीद्रव्य से एक ही समय में उत्पन्न होने वाले कम्पनों की कुल संख्या ही ध्वनि तरंगों की आवृति कहलाती है।
- आवर्तकाल – एक कम्पन से दूसरे कम्पन उत्पन्न होने के लिए पहले कम्पन का पूरा होना आवश्यक है, जिसमें कुछ समय लगता है। अतः एक कम्पन को पूरा करने में जो समय लगता है, उसे ही आवर्तकाल कहते हैं।
- आयाम– ध्वनि तरंगों के संचरण के माध्यम के कणों में जिस बिन्दु पर सबसे अधिक कम्पन पैदा होता है, वह आयाम कहलाता है|
- ध्वनि के अनेकों रूप हो सकते है, जिसमे से कुछ प्रीतिकर होते है एवं अन्य नुकसान पहुचाने वाले, अत: स्वविवेक अनिवार्य है|
- ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से बहुत कम है
- ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल भी बढ़ती है