2 स्ट्रोक इंजन क्या है?
Two Stroke Engine वर्किंग प्रक्रिया का Process है। इसमें क्रैंक Crankshaft का एक पूर्ण Revolution 360° में समाप्त होता है। मतलब Crankshaft का एक पूर्ण चक्कर 360° में पूरा किया जाता है और इसी एक Revolution 360° में इंजन के चारों स्ट्रोक पूरे किये जाते हैं। क्योंकि 2-स्ट्रोक इंजन में हम दो – दो स्ट्रोक को एक साथ लेते हैं प्रक्रिया में। इसमें 180° में दो-स्ट्रोक पूर्ण किये जाते हैं और फिर 180° में बाकी के दो-स्ट्रोक पूर्ण किये जाते है। इस तरह क्रैंक(Crankshaft) का एक पूरा चक्कर 360° में पूरा हो जाता है और चारो स्ट्रोक भी।
ऐसे Engines जिनमे piston दो बार गति करता है यानि एक बार ऊपर और एक बार नीचे आना यानि T.D.C से B.D.C तक की दूरी को एक stroke कहते है यह दो बार दूरी तय करता है इसलिए ये Two Stroke Engines कहलाते है इन दो Strokes में एक Power Stroke होता है जिससे Engine को Power मिलती है ये ज्यादा भारी नहीं होते है|
T.D.C= Top Dead Center
B.D.C= Bottom Dead Center
- First Revolutions:- में Suction और Exhaust दोनों एक साथ काम करते है| Downward Stroke भी कहते हैं |
- Two Revolutions:- में Compression Stroke और Power Stroke दोनों एक साथ काम करते है| Upward Stroke भी कहते हैं |
Working process वर्किंग प्रक्रिया
Two Stroke Petrol Engine कि Working process इस प्रकार है-
Two Stroke Petrol Engine को हम स्पार्क ignition इंजन भी कहते है, क्योंकि इसमें हम स्पर्क का उपयोग करते है fuel को बर्न (Burn) करने के लिए।
Two Stroke Petrol Engine कि वर्किंग प्रक्रिया के सभी क्रम: समान होते हैं 4-स्ट्रोक पेट्रोल इंजन की तरह जैसे:- Suction, Compression, Exhaust, Power।
Downward Stroke:-
- Two Stroke Engine भी ये सभी प्रक्रिया को पूर्ण करता है इंजन में, पर ये सभी दो पिस्टन स्ट्रोक में ही पूर्ण किए जाते हैं। इसमें पहले दो-स्ट्रोक expansion और Exhaust होते हैं क्रैंक के 180° के चक्कर पूरा करने पर। इसके दौरान हमारा जो पिस्टन है वो TDC (Top Dead Centre) से BDC (Bottom Dead Centre) की तरफ मूव करेगा और एक्सपेंशन प्रक्रिया होगी। इस समय जब पिस्टन T . D . C से B . D . C कि तरफ मूव करता है। ऐसे में ट्रांसफर और एग्जॉस्ट पोर्ट दोनों ओपन रहती है। ऐसे में जो हमारा फ्रेश चार्ज है वो ट्रांसफर पोर्ट कि मदद से इंजन सिलिंडर में एंटर करता है| Crankcase से। जब ये फ्रेश चार्ज ऊपर इंजन सिलिंडर में एंटर Inter करता है तब उसी समय ये बर्न Burn gases को धक्का मारकर एग्जॉस्ट पोर्ट से बाहर निकाल देता है। इस तरह हमारे क्रैंक के 180° के रोटेशन के साथ दो स्ट्रोक भी पूरे होते हैं। इस Two Stroke Engine में एक डिफ्लेक्टर भी लगा रहता है जो बर्न gases को इंजन सिलिंडर से बहार निकालने में मदद करता है।
Upward Stroke:-
- अब इसमें जो पिस्टन है वो B . D . C (Bottom Dead Centre) से T . D . C (Top Dead Centre) कि तरफ मूव करता है। इसमें जो फ्रेश चार्ज आया था सिलिंडर में , वो सारा का सारा कम्प्रेश हो जायेगा । इस कम्प्रेशन प्रक्रिया के दौरान हमारे दोनों पोर्ट जैसे ट्रांसफर और एग्जॉस्ट दोनो बंद रहते हैं पूरी तरह। इसका मतलब है जब हमारा पिस्टन मूव करता है ऊपर की तरफ तब फ्रेश चार्ज कम्प्रेश होता है और हमारी Inlet पोर्ट ओपेन रहती है। जिससे फ्रेश चार्ज एन्टर करता है इंजन सिलेंडर के भीतर। इस तरह हमारी क्रैंक अपना बचा हुआ 180° चक्कर पूरा करती है और इस दौरान दो प्रक्रिया एक साथ पूरी होती है , जैसे कम्प्रेशन और इनलेट। और एक Cycle भी पूरी हो जाती है| इसके बाद फिर पिस्टन T . D . C से B . D . C मूव करेगा और सभी प्रक्रिया पूरी करेगा पहले कि तरह और पूरा 360° क्रैंक रोटेशन पूर्ण होगा।
2 स्ट्रोक इंजन के भाग
Two Stroke Engine के सभी भाग इस प्रकार है जैसे –
- स्पार्क प्लग
- इंजन सिलेंडर।
- तीन पोर्ट्स , पहली – एग्जॉस्ट पोर्ट , दूसरी – इनलेट पोर्ट और तीसरी ट्रांसफर पोर्ट है।
- पिस्टन।
- कनेक्टिंग रॉड।
- क्रैंक।
- क्रैंक कैस।
- कम्प्रेसन रिंगस।
- क्रैंक शाफ़्ट।
- डिफ्लेक्टर।
Two Stroke Engine का लाभ(Advantage of two Stroke Engine)
- Two Stroke Engine क्रैंकशाफ्ट की प्रत्येक Revolution 360° के लिए एक कार्यशील स्ट्रोक (one working stroke) देता है|
- इसमें कोई valve और valve mechanism नहीं है।
- One working stroke प्रत्येक Revolution 360° of क्रैंकशाफ्ट
- इंजन हल्का होता है
- इंजन डिजाइन सरल होता है
- कम घर्षण के कारण अधिक यांत्रिक दक्षता नहीं लगती|
- कम थर्मल दक्षता लगती है|
- सरल Lubrications System प्रणाली
- इंजन को कम जगह की आवश्यकता होती है|
- इंजन अधिक शोर पैदा करता है|
(Disadvantage of two Stroke Engine)
- Two Stroke Engine में ईंधन की खपत अधिक हो जाती है
- अपूर्ण मैला ढोने के कारण जली हुई गैसों से चार्ज पतला हो जाता है|
- यह अधिक शोर Noise देता है।
- यह अधिक स्नेहन तेल (Lubrication Oil) की खपत करता है।
- चलती भागों में अधिक टूट-फूट होती है
Difference Between Four-Stroke Engine And Two-Stroke Engine?
Four- stroke Engine | Two stroke Engine |
क्रैंकशाफ्ट के प्रत्येक दो चक्करों के लिए एक कार्यशील स्ट्रोक। | क्रैंकशाफ्ट की प्रत्येक क्रांति के लिए एक कार्यशील स्ट्रोक। |
क्रैंकशाफ्ट को चालू करने का क्षण क्रैंकशाफ्ट के प्रत्येक दो चक्करों के लिए एक कार्यशील स्ट्रोक के कारण भी नहीं होता है। इसलिए भारी चक्का की आवश्यकता होती है और इंजन असंतुलित होकर चलता है। | क्रैंकशाफ्ट की प्रत्येक क्रांति के लिए एक कार्यशील स्ट्रोक के कारण क्रैंकशाफ्ट पर टर्निंग मोमेंट अधिक होता है। इसलिए हल्का चक्का आवश्यक है और इंजन संतुलित चलता है। |
इंजन भारी है। | इंजन हल्का है। |
इंजन डिजाइन जटिल है। |
इंजन डिजाइन सरल है। |
अधिक लागत। | कुछ भागों पर कम घर्षण के कारण अधिक यांत्रिक दक्षता। |
कई भागों पर अधिक घर्षण के कारण कम यांत्रिक दक्षता। | जली हुई गैसों के साथ ताजा आवेश के मिश्रण के कारण कम उत्पादन। |
फुल फ्रेश चार्ज इनटेक और फुल बर्न गैस एग्जॉस्ट के कारण ज्यादा आउटपुट। | इंजन अधिक गर्म चलता है। |
इंजन कूलर चलाता है। | इंजन एयर कूल्ड है। |
इंजन वाटर कूल्ड है। | अधिक ईंधन की खपत और ताजा चार्ज निकास गैसों के साथ मिलाया जाता है। |
कम ईंधन की खपत और ईंधन का पूरा जलना। | इंजन को कम जगह की आवश्यकता होती है। |
इंजन को अधिक जगह की आवश्यकता होती है। | सरल स्नेहन प्रणाली। |
जटिल स्नेहन प्रणाली। | इंजन अधिक शोर पैदा करता है। |
इंजन कम शोर पैदा करता है। | मोपेड स्कूटर मोटरसाइकिल का उपयोग करें। |
कार बसों ट्रकों में इस्तेमाल किया। | इंजन में इनलेट और एग्जॉस्ट पोर्ट होते हैं। |
इंजन में इनलेट और एग्जॉस्ट वाल्व होते हैं। | कम थर्मल दक्षता। |
अधिक तापीय दक्षता। | यह अधिक चिकनाई वाले तेल की खपत करता है। |
यह कम चिकनाई वाले तेल की खपत करता है। | चलती भागों का अधिक टूटना। |
टू स्ट्रोक इंजन कैसे काम करता है?