ऊर्जा किसे कहते हैंऊर्जा किसे कहते हैं

What is Energy in hindi | ऊर्जा किसे कहते हैं?

ऊर्जा किसे कहते हैं? ऊर्जा क्या है?

“किसी वस्तु द्वारा किया कार्य करने की क्षमता(capacity) ऊर्जा कहलाती है।”

Table of Contents

किसी वस्तु में निहित ऊर्जा का मापन उस कुल कार्य से किया जाता है जिसे वस्तु अपनी वर्तमान अवस्था से उस अवस्था में आने तक कर सकती है जबकि वह कार्य करने के योग्य न रहे अर्थात शून्य ऊर्जा वाली स्थिति में आने तक करती है। इस प्रकार, किसी वस्तु द्वारा किया गया कार्य ही ऊर्जा का माप है। ऊर्जा को कार्य से मापने के कारण ऊर्जा तथा कार्य के मात्रक एक ही होते है । प्रकृति में ऊर्जा अनेक रूप में पाई जाती है।

ऊर्जा की परिभाषा (Definition of energy in hindi)

“कार्य करने की आंतरिक क्षमता ऊर्जा कहलाती है। जब हम कहते है कि किसी वस्तु के पास ऊर्जा है तो इसका अर्थ है कि वह कार्य कर सकती है।”

ऊर्जा एक अदिश राशि है।

ऊर्जा का अर्थ इंग्लिश में = Energy

ऊर्जा का मात्रक क्या है (Unit of Energy)

यहां पर कार्य के विभिन्न पद्धति में मात्रक के बारे में बताया गया है।

(1) ऊर्जा का SI मात्रक (urja ka si matrak) :-

ऊर्जा का SI पद्धति में मात्रक ‘जूल (joule)’ होता है।

कार्य के सूत्र से

W = F.S

अर्थात किसी वस्तु को 1 मीटर विस्थापित करने में खर्च ऊर्जा 1 जूल है।

(2) C.G.S. पद्धति में ऊर्जा का मात्रक क्या होता है?

C.G.S. पद्धति में ऊर्जा का मात्रक ‘अर्ग (erg)’ होता है।

ऊर्जा के प्रकार (types of energy in hindi)

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ऊर्जा के विभिन्न प्रकार अथवा रूप के बारे में यहां पर बताया गया है।

गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं? क्या है। (Kinetic energy in hindi)

गतिज ऊर्जा की परिभाषा :-

“किसी वस्तु की वह ऊर्जा जो उसकी गति के कारण से होती है गतिज ऊर्जा कहलाती है। “

बंदूक से निकली हुई गोली में, चलती हुई रेलगाड़ी में तथा घूमते हुए लट्टू में गतिज ऊर्जा ही होती है। गतिज ऊर्जा सदैव धनात्मक एवं अदिश राशि होती है।

किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा का मापन कार्य उस परिणाम से किया जाता है जो गतिशील वस्तु को अवरोधक बलो के विरूद्ध विरामावस्था तक लाने में अथवा किसी स्थिर वस्तु को गतिशील अवस्था में लाने में किया गया हो । इसे प्राय K से प्रदर्शित किया जाता है।

माना किसी पिंड का द्रव्यमान m किग्रा. तथा चाल v मी./से. है तब उस पिंड की गतिज ऊर्जा

K = W = FS

यहां S पिंड द्वारा विरामावस्था में आने तक तय की गई दूरी है।

F = Ma

गति के तृतीय समीकरण से

a = v2/2S

K = m(v2/2S). S

= 1/2 mv2

अत गतिज ऊर्जा का सूत्र 

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यदि कोई पिंड किसी स्थिर अक्ष के परित घूम रहा है तो उसमे घूर्णन गतिज ऊर्जा होगी।

 स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं? क्या है। (Potential energy in hindi)

स्थितिज ऊर्जा की परिभाषा क्या है :-

“किसी वस्तु की वह ऊर्जा जो उसकी स्थिति अथवा विरूपण(deformation) के कारण होती है। स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।”

इसे U के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

स्थितिज ऊर्जा, गुरूत्वीय ऊर्जा, प्रत्यास्थ, विद्युत, रासायनिक आदि किसी भी प्रकार की हो सकती है।

  • पृथ्वी से ऊंचाई पर स्थित वस्तुओं में जो स्थितिज ऊर्जा होती है उसे गुरूत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते है।
  • वस्तुओं में जो स्थितिज ऊर्जा प्रत्यास्थता के कारण होती है उसे प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहते है। इसका उदाहरण है घड़ी की कमानी को ऐंठने पर उसमे संचित ऊर्जा।
  • दो विद्युत आवेशो के बीच दूरी बढ़ाने एवं घटाने के लिए आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल के विरूद्ध कार्य करना पड़ता है। यह निकाय में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है जिसे स्थिर वैधूत स्थितिज ऊर्जा कहते है।
  • विभिन्न प्रकार के इधन जैसे कोयला, मिट्टी का तेल, कुकिग गैस, एल्कोहोल, हाइड्रोजन इत्यादि में ऊर्जा रासायनिक स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है।

 यांत्रिक ऊर्जा क्या है ?

किसी वस्तु में ऊर्जा, वस्तु की गति के कारण अथवा किसी बल क्षेत्र में उसकी विशेष स्थिति के अभिविन्यास के कारण हो सकती है। इस परिस्थिति में उत्पन्न ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते है।

उदाहरण :-

  • गतिशील कार की ऊर्जा,
  • छत पर रखी पानी की टंकी में पानी की ऊर्जा

 आंतरिक ऊर्जा :- ( की परिभाषा, मात्रक)

आंतरिक ऊर्जा किसे कहते हैं :-

किसी वस्तु में उसके ताप या अंतर आण्विक बलों के कारण संचित की गई ऊर्जा आंतरिक ऊर्जा कहलाती है।

अत प्रत्येक वस्तु में अणु होते है, जो एक दूसरे के सापेक्ष कम्पन करते है। अत प्रत्येक वस्तु में अणु होते है। जो एक दूसरे के सापेक्ष कम्पन करते रहते है।

वस्तु में अणुओं की गति के कारण गतिज ऊर्जा तथा आण्विक बलो के कारण स्थितिज ऊर्जा उपस्थित होती है। वास्तव में वस्तु की आंतरिक ऊर्जा अणुओं की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग होती है। वस्तु का ताप बढ़ने पर आंतरिक ऊर्जा में भी वृद्धि होती है।

उष्मीय या तापीय ऊर्जा क्या है :-

ऊष्मा, ऊर्जा का एक रूप है और यह तापीय ऊर्जा भी कहलाती है। किसी वस्तु में ऊष्मीय ऊर्जा अणुओं के अव्यवस्थित विचरण के कारण उत्पन्न होती है।

भाप में ऊष्मीय ऊर्जा होती है। भाप इंजन में ऊष्मा उपयोगी यांत्रिक कार्य करने में प्रयुक्त होती है।

 रासायनिक ऊर्जा किसे कहते हैं?

किसी रासायनिक यौगिक की ऊर्जा तथा उस रासायनिक यौगिक की रचना करने वाले तत्वों की ऊर्जा में अंतर, रासायनिक ऊर्जा कहलाता है। अर्थात रासायनिक ऊर्जा रसायनिक यौगिक के परमाणुओं में उपस्थित बंधो के कारण होती है। रासायनिक अभिक्रिया में रासायनिक ऊर्जा का समावेश होता है।

वास्तव में रासायनिक ऊर्जा के उत्पन्न होने के कारण रासायनिक क्रिया में भाग लेने वाले विभिन्न अणुओं की बंधन ऊर्जाएं भिन्न भिन्न होना है। किसी रासायनिक क्रिया में ऊर्जा या तो उत्पन्न होती है या अवशोषित होती है। यदि क्रिया करने वाले अणुओं की कुल बंधन ऊर्जा क्रिया में उत्पन्न होने वाले अणुओं की कुल बंधन ऊर्जा से अधिक है तो क्रिया में ऊष्मीय ऊर्जा मुक्त होती है तथा क्रिया उष्माक्षेपी कहलाती है।

विद्युत ऊर्जा क्या है :-

विद्युत आवेश या धाराए एक दूसरे को आकर्षित करती अथवा प्रतिकर्षीत करती है अर्थात एक दूसरे पर बल आरोपित करती है। अत विद्युत आवेशों को विद्युत क्षेत्र में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कुछ कार्य करना पड़ता है। यह कार्य विद्युत ऊर्जा के रूप में संचित होता है।

 नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं?

किसी परमाणु के नाभिक में दो प्रकार के मौलिक कण क्रमश न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन उपस्थित होते है। इन कणों को नाभिक में संग्रहीत रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते है।

नाभिकीय ऊर्जा नाभिकीय संलयन तथा नाभिकीय विखंडन से मुक्त होती है।

नाभिकीय संलयन में छोटे नाभिकों के संलयन से बड़ा नाभिक बनता है। इस प्रक्रिया ने द्रव्यमान की क्षति होती है तो आइंस्टीन की द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E = ∆mc2 के अनुसार नाभिकीय ऊर्जा के रूप में रूपांतरित होती होकर उत्सर्जित होती है।

प्रकाश ऊर्जा की परिभाषा क्या है?

विकिरण ऊर्जा के दृश्य भाग को प्रकाश ऊर्जा कहते है।

सौर ऊर्जा क्या है?

सूर्य तथा गैलेक्सियों से मिलने वाली ऊर्जा सौर ऊर्जा कहलाती है। सौर ऊर्जा नाभिकीय संलयन से प्राप्त होती है।

ध्वनि ऊर्जा (sound energy kya hai)

ध्वनि ऊर्जा किसे कहते हैं :-

ध्वनि ऊर्जा, ध्वनि संचरण के लिए प्रयुक्त माध्यम के कणों की कम्पन ऊर्जा है। यह ऊर्जा का ऐसा रूप है जिससे हमारे कानों में संवेदना उत्पन्न होती है।


द्रव्यमान ऊर्जा संबंध (Mass Energy Relation)

आइंस्टीन के द्रव्यमान – ऊर्जा समतुल्यता संबंध के अनुसार द्रव्यमान तथा ऊर्जा अंतर परिवर्तनीय है। अर्थात ये एक दूसरे में परिवर्तित किए जा सकते है।

m द्रव्यमान से सम्बंधित समतुल्य ऊर्जा E = mc2

जहां m – कण का द्रव्यमान

C प्रकाश की चाल

कार्य ऊर्जा प्रमेय (work energy theorem)

किसी कण या वस्तु पर कार्यरत सभी बलों द्वारा किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है। अत

सभी बलो द्वारा किया गया कार्य = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन

✓ कार्य ऊर्जा प्रमेय के बारे में विस्तार पूर्वक जानने के लिए यहां क्लिक करे!!

ऊर्जा संरक्षण का नियम (conservation rule of energy) :-

यहां पर ऊर्जा संरक्षण का नियम क्या है के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है।

"ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और ना ही नष्ट , यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है।

यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण :-

निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा तथा निकाय के पृत्येक वस्तु की कुल गतिज ऊर्जा एक साथ मिलकर निकाय की यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है।

निकाय की कुल यांत्रिक ऊर्जा, कुल गतिज ऊर्जा, तथा स्थितिज ऊर्जा को E, K, तथा U द्वारा निरूपित किया जाए तो

E = K+ U

ऊर्जा किसे कहते हैं? | What is Energy in hindi

By Ajay Singh

Hello i me a Automobile Engineer

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