कार्य किसे कहते हैं?
जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाने से वह वस्तु बल की दिशा में कुछ विस्थापित हो।
यदि किसी वस्तु पर बल लगा देने पर वस्तु में विस्थापन नहीं हो तो वैज्ञानिक दृष्टि से हम कह सकते हैं कि कोई कार्य नहीं किया गया। उदाहरणार्थ अपने सिर पर भार रखकर एक ही स्थान पर खड़े रहने पर हम कोई कार्य नहीं करते, क्योंकि वस्तु में कोई विस्थापन उत्पन्न नहीं हुआ। हां हमने भार उठाकर सिर पर रखने में गुरुत्व बल के विरूद्ध अवश्य कार्य किया गया है।
किसी पिंड पर किया गया कार्य उस पर लगे बल के परिणाम और उसके द्वारा बल की दिशा में तय की गई दूरी से परिभाषित होता है, कार्य की इकाई जूल है
W = F.S
= न्यूटन × मीटर
1 ज़ूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
अत यदि 1 न्यूटन का बल किसी वस्तु पर को लेकर 1 मीटर से विस्थापित कर देता है तो किया गया कार्य 1 जूल होगा।
यदि किसी पिंड का विस्थापन शून्य है, तो उस पिंड पर बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
काम | वस्तु पर एक बल लगाया जाना चाहिए और वस्तु को विस्थापित किया जाना चाहिए
कार्य का सूत्र ( Formula of work)
W = F.d
कार्य = बल ×विस्थापन।
कार्य का मात्रक व विमा क्या है?
यहां पर कार्य का मात्रक(matrak) व विमा के बारे में बताया गया है।
कार्य के प्रकार (type of work in hindi)
कार्य की प्रकृति इत्यादि के अनुसार कार्य के कितने प्रकार है उन सभी के बारे में यहां पर बताया गया।
कार्य को प्रकृति के आधार पर निम्न भागो में बांटा / विभाजित किया गया है।
(1) धनात्मक कार्य
(2) ऋणात्मक कार्य
(3) शून्य कार्य
धनात्मक कार्य की परिभाषा :-
“यदि कोण θ न्यून कोण (θ< 90) हो तो किया गया कार्य धनात्मक होगा।”
धनात्मक कार्य प्रदर्शित करता है कि बाह्य बल वस्तु की गति में सहयोग देता है।
धनात्मक कार्य का सूत्र :-
W = Fs Cosθ
- जब वस्तु गुरुत्व के अधीन स्वतंत्रता पूर्वक गिरती है(θ =0) तो गुरुत्व द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
- जब स्प्रिंग को खींचा जाता है तो खिंचाव बल तथा विस्थापन दोनों एक ही दिशा में होते है इसलिए खिंचाव बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
(2) ऋणात्मक कार्य किसे कहते हैं? क्या है!
ऋणात्मक कार्य की परिभाषा :-
“यदि कोण θ अधिक कोण (θ> 90) हो तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।”
यह प्रदर्शित करता है कि बल की दिशा वस्तु की गति का विरोध करती हैं।
ऋणात्मक कार्य का मात्रक :-
W = Fs cosθ
- घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है जब यह गति का विरोध करता है।
- कार पर ब्रेक लगाने वाले बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
- जब किसी वस्तु को खुरदरे धरातल पर खींचा जाता है तब घर्षण बल तथा विस्थापन परस्पर विपरीत दिशा में होते है। अत घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
-
(3) शून्य कार्य किसे कहते हैं? कार्य की परिभाषा
शून्य कार्य क्या है :-
वह कार्य जिसमे बल लगाने के बाद भी कोई विस्थापन उत्पन्न ना हो ।
“किया गया कार्य शून्य होगा यदि F = 0, अथवा s = 0, अथवा θ = 90 हो तो।
- एक समान वेग से गतिशील वस्तु पर कुल बल द्वारा किया गया कार्य = 0
- कण पर कुल बल शून्य हो तब किया गया कार्य शून्य होता है।
- जब हम दीवार को धक्का देते है और यह विराम में रहती है तब W = 0
- जब लोलक दोलन गति करता है तब तनाव बल द्वारा किया गया कार्य W = 0
- जब नाभिक के चारो ओर गतिमान हो तब आकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य =0
- यदि कुली एक समान को क्षैतिज सतह पर ढोकर ले जाता है तब गुरुत्व के विरूद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
दूसरी ओर किसी वस्तु पर बल लगाने पर धनात्मक (+) कार्य होता है
शक्ति को कार्य करने की दर के रूप में परिभाषित किया गया है